मैंने कोढ़ /लुकोडर्मा से मुक्ति पा ली हैं.



मैं गोपाल डि.वैद्य ,उम्र ४७ ,औरंगाबाद (महाराष्ट्र )के पैठण तहसील -गांव नांदर से हु.
शरीर पर किसी भी  प्रकार के दाग ,खास करके सफ़ेद दाग का रहना और इसे सहना कितना दर्दनाक होता है यह बात जो इस स्थिति से गुजर रहा हो वही जाने. मैं खुद इस परेशानी से लगातार कई साल दो हाथ कर रहा था. एक दो नहीं ,पुरे बाइस साल लगातार मैं इसका उत्तर ढूंढ रहा था. लेकिन मै हारा नहीं ,अंत में मुझे इसका इलाज मिल गया. कैसे,कब ,और बहोत कुछ --इसकि हि पूरी बात है यह मेरा ब्लोग.
तब मैं बीस साल का था. एक दिन अचानक मैंने पाया की मेरे निचले होंठ का रंग कुछ बदलसा गया है. जब यह रंग का उड़ जाना बढ़ गया तो मेरे होश उड़ गए ,मेरे माता पिताजी भी सकते में गए. हालांकि मेरे पिताजी एक आयुर्वेद के जाने माने वैद्य थे. उनके पिताजी याने मेरे दादाजी भी बड़े नामचीन वैद्य हुआ करते थे ,यही कारण है की हमारा सरनेम वैद्य हो गया था.
 शुरूआती कुछ दिनों तक तो मैं इसका इलाज करवाने के लिए झिझक  रहा था;लेकिन जब मैं यह भाप गया की यह साधारण बीमारी नहीं है ,मैं  इलाज करवाने पर तैयार हो गया.
फिर सिलसिला शुरू हुआ अलग अलग डॉक्टर्स और स्पेशलिस्ट्स का . इस पुरे बाइस  साल में मै दो बार ७० % ठीक  था. लेकिन कोई ऐसा ट्रिटमेंट नहीं थी की एकबार भरे दाग फिरसे होने देवे. मतलब दाग भर तो जाते थे लेकिन दवाईया बंद करते हि फिर से जैसे का तैसा बन जाता था.
इस परेशानी से निपटनेका मैंने एक बहुतही गलत फैसला किया,मैंने सर्जरी करवाने का फैसला किया और कर भी ली, कुछ दिनों तक मै थोडासा खुश हुआ हालांकि मेरे होठ का नेचुरल शेप बिगड़ गया था. मै  यह समझ रहा था की सर्जरी से काटा गया होठ का हिस्सा ही सफ़ेद दाग का रोग था,लेकिन मुझे यह बात बाद में ध्यान में आई की रोग अब भी मेरे शरीर में मौजूद है,लेकिन कब?तब जब दाग फिर से गए .
मै दवाइया खाकर और धुप में बैठनेका इलाज करके थक गया था.

इन सबमें बहोत साल गुजर गए.  मेरे पिताजी का भी देहांत हो चूका था. मै यह बात मानकर चल रहा था की अब यह दाग मेरे मृत्यु तक मेरे साथ रह सकते है.
लेकिन .
एक दिन , एक बहोतही नालायक इंसान ने  मुझे इन दागो को लेकर  तरह उकसाया की  अब ये ठीक होना असंभव है और इसे ठीक करना मेरे पिताजी और मेरे दादाजी के भी बस का काम नहीं था.
मुझे मेरे पिताजी और दादाजी के ज्ञान को लेकर की गई सराहना बहुत खा गई ,मैं  उस दिन सो नहीं पाया,मैं देर रात तक मेरे पिताजी और दादाजी की वैद्यकी की किताबे उलट पुलट कर इस बीमारी का इलाज ढूंढ  रहा था.  आखिर मुझे मेरे दादाजी की नोटबुक में एक नुस्खा लिखा हुआ मिल गया.
उस नुस्खे के अनुसार मुझे १९ प्रकार के पेड़ो के जड़ ,पत्ते ,फूल,फल और बूंध चाहिए थे जो बहुतही कठिन काम था ,लेकिन नुस्खे का परिणाम मै पढ़ चूका था की यह दवा अगर बन जाती है तो वह सब के सब १८ प्रकार के कोढ़ /कुष्ठ  को मिटा सकती है.
मैंने दवा बना ली और उपयोग में भी लायी. मै छह मास में पूर्ण रूप से ठीक हो गया.
मैं  अब सफ़ेद दाग की बीमारी से पूर्ण रूप से मुक्त हो गया था. मै इस बात से बहुतही खुश था की यह दाग अभी मेरे साथ मेरे अंत तक नहीं रहनेवाने है.!! 

मैं तो ठीक हो गया लेकिन इन चार सालो में  मैंने और सात लोगो को इस समस्या से छुड़वाया यह बात मुझे धन के साथ समाधान दे गई. मैंने मेरे जैसे कई लोगोको इस परेशानी  लड़ते देखा है.
थोडासा रुक जाइये .
मैं  एक दिन बड़ी शांति से सोच रहा था की इस बीमारी ने मुझे कैसे कैसे छल दिए ?
बहोत अंतकरण में झाककर मैं सोच रहा था. इस बीमारी ने मुझसे इतना कुछ छीन  लिया की  मैं अभी मेरे उस ज़माने के नसीब को कोसने लगा.
पुरे उम्मीद के बीस साल तक मैं यह बीमारी साथ लिए घूम रहा था.
मैं कभी खुलकर जी पाया ही नहीं !
जब भी किसीसे बात करता था ,अंदर ही अंदर ,अपने आप में यह मानकर बात करता था की सामनेवालेको सबकुछ मालूम है या फिर पक्का मालूम होनेवाला है !
दोस्तोंमे यही ,घर पर यही ,रिश्तेदारोमे यही , कॉलेजों यही , बस्स. .. सब तरफ यही बात मैं मानकर जीता रहा.
इस बीमारी के कारण मैं सबकुछ मेरे पास होने के बावजूद ,कुछ कमी है -इसी छाया में रहता था.
इसी कारण से मैं बहोत अच्छे लोगों को खो गया जो मेरी इस समस्या को समझ पाए मैं उनको समझा पाया.
कुल मिलाकर मुझे इस बीमारी के चलते बाहर ही बाहर जीना पड़ा .. यह मन लो मैं अंदर से कुछ और ही जी रहा था. 
यह तो भगवान की कृपा ही कहिये की मैं ठीक ठाक पढ़ाई पूरी कर पाया और नौकरी भी पा गया.

लेकिन उसके बाद?
विवाह ? घर घर गृहस्थी ?
यह सब अड़तीस की उम्र में हो पाया,उसके और भी कारण है ,लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण यह भी था.
कोई कितना भी बड़ी बड़ी बातें करे ,लेकिन मैं आपको बड़े ही यकीन से यह बात कह देता हु की अपना समाज इस बिमारी को सिर्फ बिमारी नहीं बल्कि और बहुत मानता है, यहाँ तक की किसी किसी के लिए जिंदगी को गवाने की नौबत ला सकता है. इतना खतरनाक अंदाज है समाज का इस समस्या के लिए.
मै यह समस्या बहुत अच्छी तरह से समझ  सकता हु ,इसलिए यह ध्यान में रखके यह ब्लॉग बनाया है की ज्यादा से ज्यादा लोगो तक यह रामबाण नुस्खा पहुंचे और अधिकतम लोगो को इस समस्या से मुक्ति मिल जाए और मुझे भी थोडासा उचित धन और समाधान.
आप वास्तव में सफ़ेद दैगो से मुक्ति पाना चाहते है तो इस नुस्खे  का आपको  बहोतही लाभ होगा.आप इस ब्लॉग में पाएंगे की
यह बीमारी क्या है?
और क्यों आते है सफ़ेद दाग ?
क्या है इसका रामबाण और सरल -उचित उपाय?
क्या होते है इसके परहेज /पथ्य ?
इसके प्रमाण (प्रूफ्स)मैंने यहाँ पर दिए है क्या?
कितना आता है खर्च ?
मित्रो ,मैं  आपको विश्वास दिलाता हु की आप अगर मेरे द्वारा निर्देशित सब बातो को ध्यान देकर अनुसरण करेंगे तो आप एक वर्ष से भी कम  समय  में सफ़ेद दागोसे /कोढ़ से /Leucoderma से पूर्ण रूप से मुक्ति पा  सकते है.




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