“यहापर लिखा गया औषधि का प्रमाण एक सदृढ़ और बिस से ज्यादा साल की उम्र के व्यक्ति के लिए है.”
यह औषधि प्रात और संध्या ,दोनों समय २ ग्राम पावडर देसी गाय के थोड़े से गर्म दूध में सेवन करना होता है.
इसके साथ और एक पावडर भेजी जाएगी जो आपको सोते समय तिल के थोडेसे गर्म तेल में लगानी होती है.
बस्स.
इतनाही काफी है.
हा, अगर आप जल्द राहत पाना चाहते है तो कुछ और दवाईया आप इस्तेमाल सकते है जो किसी भी मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल सकती है.
जल्द राहत पाने के लिए ..
१ बाबची तेल /चालमुंगरा तेल - तेल का उपयोग दागो पर लगाने के लिए.
२ खदिरारिष्ट १० मि ली दो बार
३ आरोग्यवर्धिनी बटी २-२ टैबलेट दो बार
इसके साथ ही
धृतकुमारी (एलोवेरा ) की सुखी जड़(मूली) और तुलसी की सुखी जड़ को गौमूत्र में थोडासा घिसकर इसके साथ ही
धृतकुमारी (एलोवेरा ) की सुखी जड़(मूली) और तुलसी की सुखी जड़ को गौमूत्र में ,रोज थोडासा घिसकर प्रति दिन दो तीन बार लगाना चाहिए.
क्या है पथ्य
-अपथ्य ?
क्या न खाए
?
यह चीजे बिलकुल
न खाए
१ खट्टी चीजे जैसे
आचार ,निम्बू , इमली
आदि.
२ उड़द
३ पपैया /पपीता
४ शराब
५ ज्यादा कही जाए
ऐसी चाय.
इन चीजों को खाना कम करे
१ नमक - इसे कम
खाए ,अगर बाजार
के नमक के
बजाय सेंधा नमक
का उपयोग करे
तो और भी
बेहतर है.
क्या ज्यादा खाए ?
इन चीजों का भरपूर
सेवन करे.
१ चना - अगर मिल
जाए तो कला
चना बेहतर है.
चना अनेक व्यंजनोके
माध्यम से खाना
चाहिए जैसे भिगोकर
,पीसकर ,भूनकर आदि.
२ सूखे मेवे-
खट्टी टेस्ट देनेवाले सभी सूखे
मेवे खाने चाहिए.
३ ताज़े फल
और हरी सब्जियां
इसमे भी जो कुछ
खट्टा होता है
उसे छोड़कर सबकुछ
भरपूर मात्रा में
सेवन करे.
इन सब औषधिओ
और आहार के
साथ एक बहुतही
महत्वपूर्ण उपचार करना होता
है. रोज प्रात
समय और संध्या
समय की कच्ची
धुप का सेवन
करना होता. मतलब
इन दो समय
की धुप दागों
पर पड़ जाय ऐसा
सूर्य की ओर
/सन्मुख बैठना
होता है.यह बहुतही
महत्वपूर्ण उपचार है ,इसके
बगैर त्वचा में
रंग का निर्माण
असंभव होता है.
इसलिए नियमित रूप
से सूर्योदय और
सूर्यास्त समय
धुप का ऊपर
बताया है ठीक
उसी तरह से
सेवन करना अत्यावश्यक
है.
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