जैसे की मैंने
पहले बताया है
,यह सोलह दवाइयोंका
/जड़ी /बुटियोंका /भस्मो
का अद्भुत मिश्रण
है. जो सब
के सब यानि
१८ प्रकार के
कुष्ठ रोगोंका एकहि
रामबाण इलाज माना जाता
है . इसलिए
इसको "सर्व कुष्ठ हर योग " कहते है.,इन १८
प्रकारोमे श्वेत कुष्ठ (कोढ़),
रक्त कुष्ठ (लाल
दाग उभरना
), आदि और सबसे
भयंकर कुष्ठ प्रकार जिसे हम
महामारी /महारोग कहते है
; शामिल है.इस आखिरी प्रकार
में पीड़ित के
शरीर के हिस्से
जैसे उंगलिया झड
जाते हैं.
इस औषधि के निर्माण विधि में यह उपरोक्त सोलह नीविष्ठाए उपयोग में लायी जाती है. नीम
बिभीतक
आंवला
हरड़
बेहड़ा
हल्दी
पिप्पल
सौंठ
बाबची
वायविडंग
खैर
अमलतास
अरणी
गोखरू
मिर्च
लौहभस्म
भृंगराज
उपरोक्त सोलह में से अनेको का पंचांग का योग्य मिश्रण बनाया जाता है. (पंचांग- पांच अंग -पत्ता ,फूल ,फल ,मूली , पेड़ का गर्भ यानि की पेड़ को काटने के बाद जो अंदरूनी गाभा दिखता है वह.),
कुछ वनस्पतियोंका काढा बनाकर उसकी भावना देना , या फिर कुछ वनस्पतियों के स्व रस में भिगोया जाना आदि होता है.
यह सब विधियों से बनाया जाता है "सर्व कुष्ठ हर योग " , याने की कुष्ठ रोग /कोढ़ /लुकोडर्मा /विटिलिगो /सफ़ेद दाग की सफल दवा.
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